Digestive Health
बवासीर को घर पर ही प्राकृतिक तरीके से ठीक कैसे करें
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By Apollo 24|7, Published on - 22 May 2023, Updated on - 07 August 2024
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बवासीर या पाइल्स एक ऐसी तकलीफदेह बीमारी है जिसमें गुदा के भीतर एवं बाहर छाले बन जाते हैं। यह एक मुख्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जठरान्त्रीय) समस्या है जिससे मलाशय के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है। बवासीर से जुड़ी गलत धारणाओं के कारण कई लोग इसके उपचार से हिचकते हैं । यही कारण है कि वह चाहे कितनी भी समस्या होती रहे, मरीज़ उपचार से बचते हैं। हालाँकि आपका ये जानना भी आवश्यक है कि बिना उपचार के यह समस्या अधिक गंभीर एवं हानिकारक हो सकती है । विशेषज्ञों के अनुसार समय रहते बवासीर का इलाज संभव है । इस लेख में हम उन घरेलू उपायों की बात करेंगे जो बवासीर के तमाम लक्षणों को अप्रभावी कर देंगे और ऐसी जीवन शैली का वर्णन करेंगे जिससे बवासीर का जोखिम कम हो सके ।
बवासीर और उसके कारणों के विषय में और जानना
बवासीर को चिकित्सीय भाषा में हेमोर्र्होइड कहा जाता है. इसका अर्थ होता है गुदाद्वार (अर्थात जहां से मल त्याग होता है) या फिर निचले मलाशय में नसों में सूजन और जलन का हो जाना। मलत्याग करते समय व्यक्ति के मलाशय से रक्तस्राव एवं दर्द होता है।
बवासीर शरीर के बाहर और अन्दर दोनों ही प्रकार से हो सकती है। बाहरी बवासीर मलाशय के आसपास की त्वचा के नीचे होती है। इसमें खुजली, दर्द हो सकता है और इससे कभी कभी खून भी आ सकता है। जबकि दूसरी ओर शरीर के भीतर होने वाली बवासीर मलाशय के भीतर होती है, इसमें हालांकि दर्द नहीं होता है, मगर इससे रक्तस्राव हो सकता है। दोनों ही प्रकार की बवासीर मलाशय में रह सकती हैं या फिर उससे बाहर आ सकती हैं या फिर खिंच सकती हैं।
निम्नलिखित हैं वे कारण जिनके कारण निचले मलाशय पर दबाव पड़ता है और बवासीर होती है:
- वजन अधिक होना
- कम फाइबर वाला आहार लेना
- लगातार कब्ज और दस्त का होना
- मल त्याग के समय जोर देना
- मल त्याग के समय बहुत देर तक बैठे रहना
- नियमित रूप से भारी वजन उठाना ।
उम्र के बढ़ने के साथ ही बवासीर के खतरे बढ़ते जाते हैं क्योंकि हमारे वह ऊतक/टिश्यु लगातार कमजोरे होते जाते हैं, जो मलाशय और गुदा में नसों की सहायता करते हैं। यह तब भी हो सकता है जब गर्भावस्था में बच्चे का भार अधिक हो जाता है और वह मलाशय या गुदाद्वार के आसपास नसों पर दबाव डालता है।
इसे भी पढ़ें: Could Microscopic Colitis Be the Cause of Chronic Diarrhea?
बवासीर के लक्षण
हेमोर्र्होइड से पीड़ित व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण देखे जाते हैं:
- मल त्याग करते समय खून आना (मल के साथ मिला हुआ नहीं)
- गुदा के आसपास खुजली, दर्द और परेशानी
- मल त्याग के बाद बलगम या पतला स्राव
- बार बार मल त्याग की इच्छा होना या फिर ऐसा लगना कि अभी ठीक से पेट साफ़ नहीं हुआ है
- गुदा के आसपास दर्द पूर्ण सूजन
- मलाशय के आसपास जलन और लालिमा
बवासीर के बचाव एवं इलाज के लिए घरेलू उपचार
बवासीर की समस्या अधिकतर घरेलू इलाज से ही कुछ हफ़्तों में चली जाती है। इनमें से कुछ घरेलू उपाय हैं, जो आपकी सहायता बवासीर से जुड़ी परेशानियों को सरल करने में कर सकते हैं:
- सिट्ज़/बैठकर स्नान: सिट्ज़ स्नान का अर्थ होता है कि संक्रमण के खतरों को कम करते हुए बवासीर से होने वाले दर्द और खुजली में आराम पाने के लिए गर्म पानी बैठना। यदि इसमें एप्सम साल्ट भी डाल दिया जाता है, तो कहा जाता है कि दर्द कम हो जाता है। सिट्ज़ स्नान को दर्द से राहत पाने वाले उपाय के रूप में जाना जाता है। यह मल त्याग के बाद 15 मिनट तक करने पर अधिक प्रभावी होते हैं और यह सलाह दी जाती है कि इसे दिन में दो-तीन बार किया जाना चाहिए। टब में बैठकर पूरे शरीर का स्नान भी किया जा सकता है।
- विच हेजल लगाना: विच हेजल में जलन रोधी, एंटीऑक्सीडेंट और एस्ट्रिनजेंट (जिसके कारण कोशिकाएं/ऊतक सिकुड़ते हैं) विशेषताएं होती हैं। इसे जब हेमोर्र्होइड पर लगाया जाता है तो इसके लक्षणों में आराम प्राप्त होता है।
- नारियल तेल लगाना: नारियल तेल में दर्द/पीड़ा नशाक एवं जलन नाशक गुण होते हैं, जो बवासीर से जुड़े दर्द और जलन को कम करने में मदद कर सकते हैं। तेल से प्रभावित क्षेत्र मुलायम हो जाएगा और सूजन और खुजली में आराम मिलेगा।
- कोल्ड कम्प्रेस या फिर आइस पैक्स का प्रयोग करना: आइस पैक को जब सीधे रूप से हेमोर्र्होइड पर हर एक घंटे में पंद्रह मिनट के लिए लगाया जाता है तो इससे दर्द कम होता है, खुजली में कमी आती है और जलन कम होती जाती है। कोल्ड पैक या एक तौलिये में बर्फ लपेट कर लगाने से उन टिश्यु को आराम मिलता है, जो प्रभावित हो गए थे।
- एलोवेरा जेल लगाना: एलोवेरा जेल में भी वह जलन समाप्त करने वाले गुण होते हैं, जिनके चलते घाव को सही होने में मदद मिल सकती है। एलोवेरा जेल को सीधे ही मलाशय या गुदा पर लगाया जा सकता है या फिर उसे ज्यादा आराम पाने के लिए फ्रिज में रखा जा सकता है या फिर ठंडे जेल का प्रयोग किया जा सकता है। इसे भी खुजली, जलन और सूजन कम करने के माध्यम के रूप में जाना जाता है।
- पर्याप्त पानी पीते रहे: ज्यादा पानी पीना मल पतला रखने के लिए बहुत जरूरी होता है और इसके चलते कब्ज रुकता है। ऐसा होने से मल त्याग करते समय दर्द और परेशानी कम होती है।
- एक फाइबर पूर्ण आहार लेना: फाइबर से भरा आहार लेने से अर्थात फलों, सब्जियों, अनाज, फलियों, बादाम और बीजों से भरे आहार लेने से मल पतला होता है और जिसके चलते कब्ज़ में कमी आती है।
- एक फाइबर सप्लीमेंट लेना: एक प्राकृतिक फाइबर सप्लीमेंट साइलियम, जो प्लांटगो ओवाटा पौधे से प्राप्त बीजों की भूसी से प्राप्त होता है, उसे खुराक बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इससे मल मुलायम या पतला होता है और मल के आगे बढ़ने के साथ पैदा होने वाली असुविधा में कमी आती है।
- ओवर द काउंटर इलाज: ओवर द काउंटर इलाज, हेमोर्र्होइड क्रीम या फिर स्टेरॉयड क्रीम से भी लक्षणों में कमी आती है।
- उचित वस्त्र पहनना: ढीली फिटिंग वाले सूती वस्त्र गुदाद्वार के आसपास की परेशानी को कम कर सकते हैं, जिसके कारण और जलन कम होती है और घाव को सही करने में सहायता मिलती है।
- नियमित रूप से व्यायाम करना: नियमित रूप से व्यायाम करने से लम्बे समय तक बैठे रहने या खड़े रहने के कारण नसों पर पैदा होने वाले दबाव में कमी आती है, जिसके चलते कब्ज कम होने में या उसके इलाज में मदद मिलती है, व्यायाम से वजन कम करने में भी सहायता मिलती है क्योंकि मोटापा भी बवासीर बढ़ा सकता है।
- कुछ आदतों का पालन करना: बवासीर को रोकने के लिए व्यक्ति को कुछ आदतों का पालन करना चाहिए, यह निम्नलिखित हैं:
- रोके नहीं/होल्ड न करें: रोकने/होल्ड करने से मलाशय में नसों पर दबाव पड़ता है
- जोर न लगाएं: यह बहुत जरूरी है कि मल त्याग के लिए बहुत जोर न डालें या जबरन कोशिश न करें
- बहुत अधिक लम्बे समय तक बैठे न रहें: यदि मल त्याग करते मसय बहुत देर तक आप बैठे रहते हैं, तो नसों पर दबाव बढ़ता है
निष्कर्ष
बवासीर का इलाज सरल है और अधिकतर मामलों में यह घरेलू इलाज से ही ठीक हो सकती है। हालांकि यदि घरेलू इलाज प्रभावी नहीं हो रहे हैं, या बहुत ही अधिक रक्तस्राव हो रहा है तो व्यक्ति को तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। पर्याप्त रूप से फाइबर युक्त आहार लेना एवं कम से कम आठ ग्लास पानी पीना हेमोर्र्होइड को रोकने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही मल के आगे बढ़ने के दौरान नसों पर पड़ने वाले दबाव को रोका जाना चाहिए एवं साथ ही यह भी प्रयास किया जाना चाहिए कि यह कभी न हो। अधिक जानकारी के लिए,
गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट से सलाह लें
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